डाकिया आता था
एक थैला लाता था
मोहल्ला जुटता था
जिज्ञासा और आशा के बीच
हरेक आनंदित होता था
डाकिया पता पूछता
तो हर कोई
घर तक छोड़ आने को तैयार होता था
अपने आप को धन्य समझता था
आज पहली बात तो
डाकिया नहीं आता
कोरियर आता है
वह पता पूछता है
तो कोई नहीं बताता
पड़ोस में कौन रहता है
कोई नहीं जानता
खुश होना तो दूर की बात है
सच में ये खुशियां दूर चली गयीं हैं अब
न डाकिया है, न उसका इंतजार है
शहरीकरण जो हो गया है
कोरियर वाला आता है
पर उसे डाकिया का दर्जा
कतई नहीं दिया जा सकता
समय बदल गया है भाई!!
जवाब देंहटाएं’सकारात्मक सोच के साथ हिन्दी एवं हिन्दी चिट्ठाकारी के प्रचार एवं प्रसार में योगदान दें.’
-त्रुटियों की तरफ ध्यान दिलाना जरुरी है किन्तु प्रोत्साहन उससे भी अधिक जरुरी है.
नोबल पुरुस्कार विजेता एन्टोने फ्रान्स का कहना था कि '९०% सीख प्रोत्साहान देता है.'
कृपया सह-चिट्ठाकारों को प्रोत्साहित करने में न हिचकिचायें.
-सादर,
समीर लाल ’समीर’
सही कहा डाकिया परिवार का सदस्य होता है
जवाब देंहटाएंकूरियर परिजीवी