गीत लिखें हैं सभी धर्मों ने कुछ
बंध न पाये हैं कभी सुर-ताल में
एक की पत्नी बने या पांच की
द्रोपदी राजी हुई हर हाल में
गलतियां किसने करी कैसे हुईं
मंदोदरी विधवा हुई हर काल में
हर बार देखी है बदल कर दोस्तो
कुछ न कुछ कंकड़ मिले हर दाल में
लाख चौकस हो रहे हैं हर कदम
कुछ न कुछ धोखा हुआ हर माल में
आ गये ऋतुराज भी हर बार ही
कोंपलें फूटी नहीं हर डाल में
खूब फैंको प्यार से मनुहार से
मछलियां फंसती नहीं हर जाल में
वोट देना है संभलकर दोस्तो
भेडिये दिखते हमें हर खाल में
चंदन भाई मुझे नही पता कि आप जवान हैं या बुजुर्ग,लेकिन आपकी लेखनी में उम्दा जवानी झलकती है.
जवाब देंहटाएंमूड फ्रेश कर दिया.लगे रहो जी.
आलोक सिंह "साहिल"
वोट देना है संभलकर दोस्तो
जवाब देंहटाएंभेडिये दिखते हमें हर खाल में
-सही है, वाह!!
खूब फैंको प्यार से मनुहार से
जवाब देंहटाएंमछलियां फंसती नहीं हर जाल में
वोट देना है संभलकर दोस्तो
भेडिये दिखते हमें हर खाल में
वाह क्या लिखते है आप ..
मज़ा आ गया.
आपको जिन खालों में
जवाब देंहटाएंख्यालों में नहीं
भेडि़ए दिखते हैं
वे खालें मोटी होती हैं.