शीतलहर के कोप का चला रात भर दौर
धुंध ओढ़कर आ गयी भयाक्रांत सी भौर
सूरज कोहरे में छिपा हुआ चांद सा रूप
शरद ऋतु निष्ठुर हुई भागी डरकर धूप
सूरज भी अफसर बना, है मौसम का फेर
जाने की जल्दी करे और आने में देर
दिन का रुतबा कम हुआ, पसर गयी है रात
काटे से कटती नहीं, वक़्त-वक़्त की बात
उम्दा मौसमी दोहे!! बधाई.
जवाब देंहटाएंक्या बात है....सर्दी का मज़ा दोगुना हो गया ये दोह पढ़ कर...बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंwaah waah........sardi ka ahsaas.
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