हाथी
हाथी बोला ऊंट से तुम क्या लगते हो ठूंठ से
कमर में कूबड़ कैसा है गला गली के जैसा है
दुबली पतली काया है कब से कुछ नहीं खाया है
हर कोने से सूखे हो लगता बिलकुल भूखे हो
कहां के हो क्या हाल है लगता पड़ा अकाल है
ऊंट
ऐ भोंदूमल गोल मटोल मोटे तू ज्यादा मत बोल
सबसे ज्यादा खाया है तू खा-खा कर मस्ताया है
फसलें चाहे अच्छी हों गन्ना हो या मक्की हो
तेरे जैसे हों दो चार हो जायेगा बंटाढार
जैसा अपना इण्डिया गेट देख देखकर तेरा पेट
समझ गये हम सारा हाल क्यों पड़ता है रोज अकाल
सब कुछ तू खा जायेगा तो ऊंट कहां से खायेगा
हाथी ने ऊँट से कहा
जवाब देंहटाएंऊँट ने हाथी से कहा
सब समझ में आया
पर ये सब सुना कैसे
आप ने ये नहीं बताया !
दुभाषिए ने बतलाया होगा।
हटाएंअभी तक दीवारों के कान हुआ करते थे .... अब समझ लीजिए कल्पनाओं के भी कान होते हैं...;
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