मंगलवार, 16 अक्तूबर 2007

बारिश

चांद और बदली में हो गई खटपट
रूठी हुई बदरिया सूरज से करके घूंघट
सिसकियां ...
भर भर के रो रही है
लोग कहते हैं
बारिश हो रही है.

1 टिप्पणी:

  1. पवन जी,

    क्या भा गया रचना में शब्दों में बयां नहीं कर सकता. लेकिन कल्पना की उड़ान बादलों को छू रही है, ये तो तय है.

    मीत

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टिप्‍पणी की खट खट
सच्‍चाई की है आहट
डर कर मत दूर हट