रविवार, 8 जून 2008

तितली की सलाह

तितली तू क्‍या खाती है, ये रंग कहां से लाती है
कर श्रंगार दुल्‍हन जैसा, तू रोज कहां पर जाती है

क्‍यों प्रश्‍न उठा तेरे मन में, मैं जाती हूं वन-उपवन में
ये असर हुआ है फूलों का जो रंग भरें मेरे जीवन में

तुम भी उपवन तैयार करो फूलों पौधों से प्‍यार करो
जीवन में रंग सजेंगे खुद तुम जीवों पर उपकार करो

2 टिप्‍पणियां:

टिप्‍पणी की खट खट
सच्‍चाई की है आहट
डर कर मत दूर हट