जी हां ये रचना कई बार चोरी हो चुकी है। पंजाब केसरी में, राष्ट्रीय सहारा में। साहित्यिक चोरों ने अपने नाम से प्रकाशित कराई है। राष्ट्रीय सहारा का धन्यवाद है उसने इसका खंडन भी प्रकाशित किया था। ये कविता जब पंजाब में उग्रवाद अपने चरम पर था तब लिखी गयी थी।
शीर्षक ... फुर्सत नहीं है
जीवन आउट ऑफ डेट हो गया है
शायद यमराज लेट हो गया है
या फिर उसकी नज़र फिसल गयी
और हमारी मौत की तारीख निकल गयी
हमने यम के पी ऐ को लिखा
उसने जवाब नहीं दिया
फिर यमराज को किया फोन
यम बोला ..... कौन ....
बीमारी में अस्पताल में पड़े हैं
मौत की लाइन में खड़े हैं
प्रभू ..... जल्दी आइये
बीमारी और जीवन से छुटकारा दिलाइये
यमराज बोला ठीक है
सब्र कर जल्दी आऊंगा
तेरे प्राण ले जाऊंगा
जान लेना तो इजी है
पर क्या करूं
मेरे स्टाफ पंजाब में बिजी है
तुम्हें फोन करने की जरूरत नहीं है
अभी तो मुझे भी
मरने की फुर्सत नहीं है।
आपकी सूचना बिल्कुल सही है. मंच पर भी लोगों ने इसे भुनाया है
जवाब देंहटाएंआपकी सूचना सही है. मंच पर भी लोंगो ने इसे बहुत भुनाया है
जवाब देंहटाएंभुनाने वाले का बसंत जी ने
जवाब देंहटाएंनाम नहीं बताया है
एक है या अनेक हैं
कर रहे काम नेक हैं ?