सोमवार, 8 फ़रवरी 2010
दिल्ली हिन्दी ब्लॉगर मिलन : आंख में ऊंगली मत करिये (पवन चंदन)
मैं तो नहीं आ पाया
इच्छा तो खूब रही
पर मन का कहा
पूरा नहीं होता।
रेल विभाग
कभी नहीं सोता
न सोने देता है।
मैं तो नहीं पहुंच पाया
पर मेरी हाजिरी बजाई
मेरे कैमरे ने
उसमें यह चित्र मिला ।
यह तो सही नहीं है
हिन्दी ब्लॉगिंग में
विवाद पैदा करना
आंख में ऊंगली
करने के है समान।
तो ब्लॉगिंग रूपी आंख में
ऊंगली मत करिये
पर इन्हें पहचान लीजिए
यह हैं कौन
कितने हैं इनके ठाठ
इनका नाम है ....
बाकी आप लिखिये
सीधा सरल इलाज है
आंखों को ठंडे पानी के
छीटों से धो डालिए।
अविनाश जी तो दिन में
कई बार ऐसा ही करते हैं
इसलिए ही तो
24 घंटे में से
48 घंटे हिन्दी ब्लॉगिंग
करते हैं।
इनमें भी बतलायें
उपस्थित सभी के नाम
आज यही है काम।
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आप नहीं आ पाये
जवाब देंहटाएंआपका कैमरा आ गया
अविनाश जी ने बताया था
कि कैमरा कहाँ से खसकाया था
आँख में उगंली कर रहे नीरज जाट
पद्म सिहं जी ने मिलाये हुए है हाथ में हाथ
मयंक जी युवा पत्रकार
सुन रहें है अजय जी के विचार
उनके साथ है डा टी एस दराल
उनके मन में घुम रहें है ख्याल
बगल में जो कट गया वो चेहरा हमारा है
तभी तो इतना सारा लिख डाला है
xआप की कमी तो खलती रही मगर आप के कैमरे की पहुच को सलाम
जवाब देंहटाएंसादर
प्रवीण पथिक
9971969084
बहुत बढ़िया चंदन जी।
जवाब देंहटाएंआपके चित्र हम तक भी पहुंचे हैं।
रेलवेवालों की कर्मठता को सलाम है...
kya baat hai camera se hi aapne meeting ki sab jaankari le li
जवाब देंहटाएंye hain vinay kumar jha , shyad , jo aankh mein ungli kar rhe hain .
जवाब देंहटाएंहमें तो ऐसा लगा कि जैसे हम भी वहीं थे। वाह केमेराजी।
जवाब देंहटाएंचलिए ,खुद न आ सके तो क्या हुआ
जवाब देंहटाएंहरकारा भेज दिया
बड़े लोगो की बड़ी बातें