बुधवार, 24 फ़रवरी 2010

बच्‍चों के लिए एक रचना

जंगल की होली


लगा महीना फागुन का होली के दिन आये
इसीलिए वन के राजा ने सभी जीव बुलवाये

भालू आया बड़े ठाठ से शेर रह गया दंग
दुनिया भर के रंग उड़ेले चढ़ा न कोई रंग

हाथी जी की मोटी लंबी सूंढ बनी पिचकारी
खरगोश ने घिघियाकर मारी तब किलकारी

उसका बदला लेने आया वानर हुआ बेहाल
लगा लगाकर थका बेचारा चौदह किलो गुलाल

मौका ताड़े खड़ी लोमड़ी रंगू गधे को आज
लगा दुलत्‍ती नो दो ग्यारह हो गये गर्दभराज

घायल हुई लोमड़ी उसको अस्पताल पहुंचाया
गर्दभ को जंगल के जज ने दण्डित कर समझाया

होली है त्योहार प्रेम का मौका है अनमोल
भूलो द्वेष खूब रंग खेलो गले मिलो दिल खोल

यहां राज है जंगल का सबको न्याय मिलेगा
वरना जग में हमें आदमी फिर बदनाम करेगा
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2 टिप्‍पणियां:

टिप्‍पणी की खट खट
सच्‍चाई की है आहट
डर कर मत दूर हट