दुविधा ही दुविधा उन्हें जो चश्मे बद्दूर
बिन चश्में रहता नहीं है चेहरे का नूर
जब चश्मा हो नाक पर बरसे रंग हजार
कुछ भी तो दिखता नहीं शीशों के उस पार
क्रोधित हों या जतलाएं मुस्काकर के प्यार
नर था ये कोई सांड सा या थी कमसिन नार
दिखने में बाधा करे होली पर हर वक़्त
हालत को मुश्किल करे ये सुसरा कमबख़्त
आपको तथा आपके परिवार को होली की शुभकामनाएँ.nice
जवाब देंहटाएंहंस रहे हैं
जवाब देंहटाएंहा हा हा
और
भला मान लिया
लाभ सारा जान लिया।
दिल को छू रही है यह कविता .......... सत्य की बेहद करीब है ..........
जवाब देंहटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनाए इस आशा के साथ की ये होली सभी के जीवन में
जवाब देंहटाएंख़ुशियों के ढेर सरे रंग भर दे ....!!
ससुरा चश्मा बड़ा बेईमान
जवाब देंहटाएंआपको सपरिवार होली की ढेरो बधाईयाँ और शुभकामनाएँ
सपरिवार आपको होली की अनेको शुभकामनाएं !!
जवाब देंहटाएंबढ़िया!
जवाब देंहटाएंये रंग भरा त्यौहार, चलो हम होली खेलें
प्रीत की बहे बयार, चलो हम होली खेलें.
पाले जितने द्वेष, चलो उनको बिसरा दें,
खुशी की हो बौछार,चलो हम होली खेलें.
आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.
-समीर लाल ’समीर’
"नर था या कोइ सांड था या कोइ कमसिन नार"
जवाब देंहटाएंहोली के रग में चश्मा भी पूरे रग में होता है। होली की शुभ कामनाएं!
अच्छे लफ्जों में सुंदर कविता
जवाब देंहटाएंwah..pawan g..wah
जवाब देंहटाएंnar ya koi kamsin naar...........wakai hasya aur yatharth ka anootha sangam hai sirji
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