सोमवार, 1 मार्च 2010

आओ हंस लें....... भला मानो होली है

दुविधा ही दुविधा उन्‍हें जो चश्‍मे बद्दूर
बिन चश्‍में रहता नहीं है चेहरे का नूर

जब चश्‍मा हो नाक पर बरसे रंग हजार
कुछ भी तो दिखता नहीं शीशों के उस पार

क्रोधित हों या जतलाएं मुस्‍काकर के प्‍यार
नर था ये कोई सांड सा या थी कमसिन नार

दिखने में बाधा करे होली पर हर वक्‍़त
हालत को मुश्किल करे ये सुसरा कमबख्‍़त

11 टिप्‍पणियां:

  1. आपको तथा आपके परिवार को होली की शुभकामनाएँ.nice

    जवाब देंहटाएं
  2. हंस रहे हैं
    हा हा हा
    और
    भला मान लिया
    लाभ सारा जान लिया।

    जवाब देंहटाएं
  3. दिल को छू रही है यह कविता .......... सत्य की बेहद करीब है ..........

    जवाब देंहटाएं
  4. होली की हार्दिक शुभकामनाए इस आशा के साथ की ये होली सभी के जीवन में
    ख़ुशियों के ढेर सरे रंग भर दे ....!!

    जवाब देंहटाएं
  5. ससुरा चश्मा बड़ा बेईमान
    आपको सपरिवार होली की ढेरो बधाईयाँ और शुभकामनाएँ

    जवाब देंहटाएं
  6. सपरिवार आपको होली की अनेको शुभकामनाएं !!

    जवाब देंहटाएं
  7. बढ़िया!


    ये रंग भरा त्यौहार, चलो हम होली खेलें
    प्रीत की बहे बयार, चलो हम होली खेलें.
    पाले जितने द्वेष, चलो उनको बिसरा दें,
    खुशी की हो बौछार,चलो हम होली खेलें.


    आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.

    -समीर लाल ’समीर’

    जवाब देंहटाएं
  8. "नर था या कोइ सांड था या कोइ कमसिन नार"
    होली के रग में चश्मा भी पूरे रग में होता है। होली की शुभ कामनाएं!

    जवाब देंहटाएं
  9. अच्‍छे लफ्जों में सुंदर कविता

    जवाब देंहटाएं
  10. nar ya koi kamsin naar...........wakai hasya aur yatharth ka anootha sangam hai sirji

    जवाब देंहटाएं

टिप्‍पणी की खट खट
सच्‍चाई की है आहट
डर कर मत दूर हट