सोमवार, 22 मार्च 2010

बड़ों के लिए बाल कविता

बिल्‍ली आयी बिल्‍ली आयी


बिल्‍ली आयी बिल्‍ली आयी
दौड़ भाग कर दिल्‍ली आयी
खेल रहा था लगातार
एक चूहा देखा सड़क पार

आया उसके मुंह में पानी
झट से अपनी मूंछें तानी
तड़प रही थी भूख की मारी
लेकिन क्‍या करती बेचारी

मोटर गाड़ी कार सवार
सबकी खूब तेज रफ्तार
चले सड़क पर भीड़ अपार
बिल्‍ली कैसे जाए पार

बिल्‍ली मौसी हुई उदासी
खड़ी रही यूं भूखी प्‍यासी
ढलते ढलते हो गयी शाम
नहीं बना खाने का काम

थककर हारी हो गयी बोर
भाग गयी जंगल की ओर
अब न बात बनाएं हम
आओ सब जग जाएं हम

यातायात घटाना अब तो
जन जन की जिम्‍मेदारी है
वरना
अभी सिर्फ बिल्‍ली भागी है
आगे हम सब की बारी है

3 टिप्‍पणियां:

  1. "अभी सिर्फ बिल्ली भागी है
    आगे हम सब की बारी है"
    बड़ों के लिए बाल कविता बहुत पसंद आई

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  2. वाकई बड़ों के लिये है यह वाल गीत

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  3. यह बाल कविता बड़ों के गाल पर तमाचे के माफिक है।

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टिप्‍पणी की खट खट
सच्‍चाई की है आहट
डर कर मत दूर हट