घर के अंदर बाहर की दुनिया
एक तो अविनाश वाचस्पति जी है और ....... जी लग रहे है भैय्या ये दोनों राजधानी में बैठकर खूब नोट बीन कर गिन रहे है क्या आजकल नोटों की माला खोलने का और गिनने का काम कर रहे हैं ...
एक पहले अविनाश जी हैं और दूसरे दूसरे अविनाश जी.. ;)
थक गये हों तो हम आयें क्या मदद करने??
गिनती कब तक चलेगी
सिर्फ गिन ही रहे हैं कि कुछ हाथ भी लगे :-)
कहां कहां कैमरे लगा रखे हैंनोटों की खुशबू चंदन की तरहपवन में घुल मिलकर सबकोलुभा रही है, बहका रही हैपर राजनीति तो लहरा रही है।
oh....to ye chal raha hai yahan...
टिप्पणी की खट खटसच्चाई की है आहटडर कर मत दूर हट
एक तो अविनाश वाचस्पति जी है और ....... जी लग रहे है भैय्या ये दोनों राजधानी में बैठकर खूब नोट बीन कर गिन रहे है क्या आजकल नोटों की माला खोलने का और गिनने का काम कर रहे हैं ...
जवाब देंहटाएंएक पहले अविनाश जी हैं और दूसरे दूसरे अविनाश जी.. ;)
जवाब देंहटाएंथक गये हों तो हम आयें क्या मदद करने??
जवाब देंहटाएंगिनती कब तक चलेगी
जवाब देंहटाएंसिर्फ गिन ही रहे हैं कि कुछ हाथ भी लगे :-)
जवाब देंहटाएंकहां कहां कैमरे लगा रखे हैं
जवाब देंहटाएंनोटों की खुशबू चंदन की तरह
पवन में घुल मिलकर सबको
लुभा रही है, बहका रही है
पर राजनीति तो लहरा रही है।
oh....to ye chal raha hai yahan...
जवाब देंहटाएं