जी हां यही तो है,
इसी कार में सवार
पांच ब्लागर मजेदार
जा पहुंचे रूपचंद जी के द्वार
मयंक जी की महिमा का खटिमा
या कहें - खटीमा की महिमा
हीटर की गरमाई में
एक कविगोष्ठी रजाई में
संपन्न होती रही
दुनिया सोयी नहीं
जगती रही
सुनती रही
गुनती रही।
जी हां यही है
वह यंत्र
जो यत्र तत्र सर्वत्र
प्रसारित करता रहा
प्रचारित करता रहा
गोष्ठी का हर पल प्रतिपल
और अंतर्जाल की दुनिया निहारती रही अपलक
ब्लागरों की हर झलक
हम आभारी हैं श्री बिल्लोरे जी के
दोस्ताना निभाते रहे
और सारा नजारा दुनिया को दिखाते रहे
ये सब हुआ है पहली बार
अब तो होगा बारंबार
इससे अगली खबर
पर रखिये नजर
कल छपेगी यहीं पर
जी हां चौखट पर ...........................
वाह बहुत ही बढ़िया..
जवाब देंहटाएंअरे वाह !
जवाब देंहटाएंआपने तो राज की बाते भी रुसवा कर कर दीं!
पवन चन्दन जी आपका बहुत बहुत आभार
मेरी कुटिया को धन्य करने के लिए!
रुसवा नहीं किया मयंक जी
जवाब देंहटाएंबिखेरा है जलवा
खाइये समझ कर
गाजर का गर्मागर्म हलवा
इंटरनेट पर क्रांति का सूत्रपात : खटीमा हिन्दी ब्लॉगिंग सम्मेलन के जीवंत प्रसारण को देखें
वाह वाह बहुत खूब्।
जवाब देंहटाएंबधाई हो सफल कार्यक्रम हेतु
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया तस्वीर पेश की है, बस ऐसे दूर बैठे लोगों को भी अवगत करने की तकनीक के लिए धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंक्या खोज रहे थे ये मत बताइयेगा ... आपकी रुसवाई हमें पसंद नहीं... :)
जवाब देंहटाएंवेबकैम जी नाराज़ हो रहे थे कि मैंने सब का फोटो खींचा मेरा किसी ने नहीं... लीजिए उनकी नाराजगी भी दूर हो गयी :)