
आज साहित्य शिल्पी के वार्षिकोत्सव पर इस ब्लॉगर स्नेह महासम्मेलन के मुख्य अतिथि डॉ. प्रेम जनमेजय जी, राजीव रंजन प्रसाद जी, मंचासीन और यहां उपस्थित सभी हिंदी प्रेमियों, ब्लॉगर्स/साहित्यकारों और टिप्पणीकारों को बधाई देता हूं और उनका अभिनंदन करता हूं।
इंटरनेट का प्रादुर्भाव विचारों के प्रकाशित किए जाने के लिए हितकारी रहा है। विचारों को प्रकट करने और हिट कराने में इसके योगदान से सभी परिचित हैं। ब्लॉग या चिट्ठे के आने के बाद संपादक जी से रचनाओं की सखेद वापसी के युग का अंत हो गया है। अब आप सर्वेसर्वा हैं यानी लेखक, संपादक, वितरक, प्रचारक और पाठक भी। जैसा कि हम सभी जानते हैं स्वत्वाधिकारी होने से जिम्मेदारी कम नहीं होती अपितु बढ़ जाती है। इस दायित्व के संबंध में माननीय मुख्य अतिथि डॉ. प्रेम जनमेजय से अधिक कौन जानता होगा, जो कि एक लंबी व्यंग्य यात्रा के साक्षी हैं।
ब्लॉग पर प्रकाशित विचारों का, रचनाओं का और आपसी विचार विनिमय का महत्व शब्दों में नहीं बतलाया जा सकता। ब्लॉग ने हमें अंतहीन विचारों का सफर प्रदान किया है। यह सफर जारी है और जारी रहना चाहिए। अजित वडनेरकर जी के शब्दों के सफर की निरंतरता और उपयोगिता के माफिक। उनसे कदाचित ही कोई अपरिचित होगा जैसे कोई उड़नतश्तरी जी को न जानता हो, ऐसे बहुत से नाम हैं ... सबका उल्लेख करना संभव नहीं है और ऐसे ही एक प्रेमी बंधु अरूण अरोड़ा जी आज यहां पर अपनी मौजूदगी से सतरंगी रंग बिखेर रहे हैं। आप अपने मन को टटोल लीजिए, ऐसे बहुत से नाम खुद ब खुद आपके जहन में गोते लगाने लग गए हैं।
आज हम साहित्य शिल्पी के सौजन्य से इनके नुक्कड़ पर अपने नुक्कड़ के तमाम लेखकों और पाठकों के साथ इस महासम्मेलनीय स्वरूप में एकत्रित हुए हैं। वैसे इनका नुक्कड़ और हमारा नुक्कड़ और आपका नुक्कड़ तथा जो इंटरनेट के माध्यम से जुड़े हुए हैं, सब मिलकर चौराहा बनता है और इस चौराहे पर मिलकर हम सब हर्षातिरेक और प्रेम से आनंदित हो रहे हैं। आज हम सब इतना कहना चाहते हैं कि यदि यह समारोह एक सप्ताह भी लगातार चले तब भी सबके पास बहुत कुछ अनकहा रह जायेगा।
इस अवसर पर स्मृति दीर्घा के भाई सुशील कुमार, आशीष खंडेलवाल का भी जिक्र करना चाहूंगा जिनकी कर्मठता, लगन और तकनीकी सहयोग ने हमारे ब्लॉगों को तकनीकी तौर पर समृद्ध किया है और यह प्रक्रिया अनवरत रूप से प्रवाहमान है। हमें बहुत सारे वरिष्ठ लेखकों का आशीर्वाद प्राप्त है, साथी लेखकों का बेशुमार प्यार जिनमें भविष्य में अपनी लेखनी के बल पर धूम मचाने वाले अजय कुमार झा, विनोद कुमार पांडेय, पुष्कर पुष्प, विनीत कुमार इत्यादि का उल्लेख कर रहा हूं। इसका आशय यह न लिया जाए कि वे इस समय धूम नहीं मचा रहे हैं और जिनके नाम नहीं ले रहा हूं वे हमें प्यार नहीं करते अपितु सबका नाम लूंगा तो अलग से एक सूची ही पढ़नी होगी तब भी सूची मुकम्मल नहीं हो पाएगी। आपके सबके स्नेह संबल से ही साहित्य शिल्पी और नुक्कड़ आज यहां मिलकर प्रेम की बरसात, सचमुच की बरसात के बीच कर रहे हैं। बारिश ने मौसम खुशनुमा बना रखा है।
इंटरनेट ने एक दुर्गम विश्व को एक सुंदर सा आधुनिक गांव बना दिया है। इंसानों की भौगोलिक दूरियों से ज्यादा वैचारिक दूरियां होती हैं। ऐसी दूरियों को पाटने का काम जितनी खूबी से इंटरनेट कर रहा है, उसकी जितनी भी तारीफ की जाए, कम है।
इस गांव की एक कुटिया में आपको पाबला जी मिलेंगे, उनके साथ वाली कुटिया में ही ज्ञानदत्त पांडेय जी अपनी छुक छुक रेलगाड़ी के साथ, चौखट में चंदन जी और मास्टरनी नामा में कुमाऊंनी चेली शेफाली पांडेय जी। जो हलद्वानी से इस ब्लॉगर्स सम्मेलन के लिए खासतौर से पधारी हैं।
ब्लॉगों पर सभी तरह के पुष्प मौजूद हैं जिसको जो लुभावना लगे वो उसके साथ जुड़ जाता है। इसमें सभी का अपना महत्व है जिसमें विधा और विषय अलग हो सकते हैं।
कंप्यूटर के सामने बैठकर कभी मैं अकेला नहीं रहा हूं। मेरे साथ एक भरा पूरा जीवंत संसार अपनी विविध कलाओं रूपी हरी, लाल, संतरी रंग की जगमगाती बत्तियों के साथ सदा मौजूद रहता है ।
बेमन से कार्य किया जा रहा हो तो समय बिताये नहीं बीतता। एक एक पल एक साल से भी लंबा महसूस होने लगता है। समय सिर्फ उसी काम में कम पड़ता है जिसमें हमारा मन रच जाता है। और फिर जिस काम में मन रम गया तो वक्त का नशा उतरने का नाम नहीं लेता। समय का पता ही नहीं लगता, कब कितना गुजर गया। ऐसे ही अहसास सुख और दुख के होते हैं।
इंटरनेट ध्यान में साधना करने वाले मेरे जैसे कीबोर्ड के खटरागी प्रत्येक साधक इस सच्चाई से रोजाना ही रूबरू होते हैं। इस साधना के सामने भूख प्यास जैसी भौतिक जरूरतें भी कुछ समय के लिए गैर-जरूरी हो जाती हैं या हम उनकी अवहेलना करने का गुनाह कर बैठते हैं। पर प्रेम के इस खेल में ऐसे गुनाहों पर माफी मिल जाया करती है।
इंटरनेट पर हिंदी के संबंध में और ब्लॉगिंग के संबंध में सभी उपस्थित जन अपने अपने विचार संक्षिप्त में रख सकते हैं। उन्हें रिकार्ड किए जाने की व्यवस्था है और उनसे लाभान्वित कराने के कार्य में साहित्य शिल्पी और नुक्कड़ टीम के सभी सदस्य एक बार फिर पूरी शिद्दत से जुट जायेंगे।
और ऐसा महसूस हो रहा है जैसे साहित्य शिल्पी के माध्यम से स्नेह विनिमय का यह प्रयास इंद्रधनुषीय रंगों को जीवंत कर रहा है।
धन्यवाद।