मंगलवार, 1 सितंबर 2009

'लो हो गया शतक' प्रकाशित हरिभूमि और शबद लोक

जिन्ना और ता ता धिन्ना
आज मेरा दोस्त अविनाश कुछ अलग अंदाज में था। वैसे तो वह मुझसे छोटा है पर बात कुछ इस तरह कर रहा था जैसे बड़ा हो गया हो। आते ही बोला...क्या कविता... क्या व्यंग्य, मेरी मान॥ तो ये सब छोड़ दे और अपनी कलम को किताब की तरफ मोड़ दे। किताब लिख, किताब... कविता से क्या मिलेगा जो किताब से मिलने वाला है। बस ऐसा मसाला ठूंस दे कि तूफान खड़ा हो जाए। मेरी माने तो शांत तालाब में सोडियम का टुकड़ा फैंक दे। पानी में आग लगाने का रासायनिक तरीका है। आग लगाओ और दूर खड़े सेको। मजे से तमाशा देखो। तुम्हारे लेख और कविता की कीमत भी तीन अंको से चार में पहुंच जाएगी। मेरे प्रश्‍न करने से पहले ही बोल पड़ा...तुम भी तो बीसवीं सदी में पैदा हुए थे, सो अपने जनम के आस-पास का कोई किस्सा टटोल और लिख दे गोल मोल। बस एक बात का ध्यान रखियो... अगर किस्सा सच हो तो ऐसे लिखना कि झूठ लगे। यदि सच न मिले तो ऐसा झूठ लिखमार कि सरासर सच लगने लगे। लेखन का सबसे बड़ा टोटका है। कोई चूमे न चूमे, पर सफलता तेरे कदम चूमेगी। किसी की ताब नहीं कि उस किताब को बिकने से रोक सके। सफेद तो क्या काले में भी बिकेगी। आइडिया दूं... किसी भले आदमी पर कीचड़ उछाल दे, किसी सज्जन पर लांछन लगा दे। कलम की आजादी इसी को तो कहते हैं। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। इसी का सहारा ले और भारत की सुप्त जनता को जगा दे। एक नया मुद्दा दे दे। कुछ दिन गाल बजा लेगी और दाल का दाम भूल जाएगी। ऐसा करने से तेरी भी दाल गल जाएगी। अब ये मत लिखना कि भारत को किसने तोड़ा था, ये आइडिया तो किसी नेता ने मार लिया है। मैं सोच ही रहा था कि ये गड़े मुर्दे कौन उखाड़ रहा है? अविनाश ने भांप लिया और बोला... मेरे यार ये मुर्दे, गाड़े ही इसलिए जाते हैं कि उनको उखाड़ा जा सके। ये वो राजनीतिक दांव है जिससे दूसरे को पछाड़ा जा सके। अविनाश अभी भी बोले ही जा रहा था और मैं ये सोचने में मग्न था कि देश में ऐसे नेता क्यों नहीं हैं जो उस किताब को लिखें, जिसमें देश को एक सूत्र में पिरोने का मजबूत धागा विकसित हो। देश का अंग-अंग एक मोती की माला में गुंथा नजर आए। इधर-उधर बिखरे हुए छोटे-छोटे मोती भी इसमें जुड़ने को लालायित हों। अविनाश ने जैसे मेरे विचारों को पढ़ लिया हो। बोला,,, बेकार की मत सोच...ऐसी किताब की कल्पना न कर जो एक के साथ चार फ्री मिलें। जो विवादित न हो, वो किताब ही क्या ? चल जुट जा किताब लिखने में...
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3 टिप्‍पणियां:

  1. जरूर लिखिये किताब विवाद हम खडा कर देंगे फि देखें कैसे धडा धड बिकेगी जसवन्त जी भी चकरा जायेण्गे

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  2. किताब लिखना
    जिसमें ताब किसी
    की छेड़े बिना
    मत छोड़ना।

    शतकीय पारी
    की बधाई चंदन।

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टिप्‍पणी की खट खट
सच्‍चाई की है आहट
डर कर मत दूर हट