गुरुवार, 4 दिसंबर 2008

सोचने की बात

रोयी मुंबई तीन दिन हो कर लहूलुहान
देखें, अपने देश की किसके हाथ कमान

6 टिप्‍पणियां:

  1. रोयी मुंबई तीन दिन हो कर लहूलुहान
    देखें, अपने देश की किसके हाथ कमान
    " sach kha ye bhut sochne ke baat hai, subse important issue hai ye, ..."

    जवाब देंहटाएं
  2. जो ब्‍लॉगर मेरी चौखट पर आये,
    जो आएंगे
    और जो आते रहे हैं
    मैं सभी का आभारी हूं
    मेरे लिए सभी आदरणीय हैं

    जवाब देंहटाएं
  3. क्या बात है पवनजी दो पंक्तियों में सब लिख डाला, व्यंग्यकार तो आप है जनाब हम तो अभी आप जैसे महानुभावों से सीख ही रहे हैं...

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह पवन जी बहुत सुन्दर लिखा दो लाईन मे सब लिख डाला...

    जवाब देंहटाएं
  5. ये गलत बात है हम कैमंट देखने के चक्कर में किये जा रहे हैं खट-खट...आप हैं की दरवाजा बंद किये बैठे हैं...:(

    जवाब देंहटाएं

टिप्‍पणी की खट खट
सच्‍चाई की है आहट
डर कर मत दूर हट