रविवार, 1 मार्च 2009

शुक्र है दिल बच गया

कल रात मैं अपने आफिस मैं बैठा कुछ सोचने लगा। तभी मेज का शीशा अचानक बिना दबाव बिना प्रभाव ताव में आ गया और खण्‍ड खण्‍ड विखण्डित हो गया। मटर के से दाने फैल गये सारे कमरे में। मैं भौंचक्‍का रह गया। काफी खोज की कि कहीं कोई चीज टकराई हो पर कोई सुबूत नहीं मिला और मैंने देखा भी नहीं कोई चीज गिरते हुए। टेलीफोन भी शीशे पर था उसके नीचे भी शीशा टूट चुका था। सामने होते हुए भी कोई भी टुकड़ा मुझे नहीं लगा। मेज और पूरे कमरे में बिखर गया था वह लगता था, बहुत गुस्‍से में था। विस्‍फोट की आवाज भी आयी थी।
ये आवाज पास ही में काम कर रहे दो स्‍टेशन मास्‍टरों को भी आयी। जो उन्‍होंने बाद में स्‍वीकारी भी, लेकिन दोनों में से कोई सा भी ये जहमत नहीं उठा पाया कि देखें क्‍या हुआ है। चलो ये तो आज का समाज है जो अपनी मर्जी के अनुसार चल रहा है। मुझे इस बात की अपेक्षा नहीं थी लेकिन उनको मेरे कमरे में आकर देखना ही चाहिए था। भले ही जिज्ञासावश ही सही।
सवाल ये नहीं है कि आज के पड़ौसी और आसपास के लोगों की प्राथमिकताएं क्‍या हों, सवाल ये है कि वह शीशा बिना वजह टूटा क्‍यों। सिर्फ टूटा ही नहीं टुकड़े टुकड़े हो गया। है कोई जानकार जो बताए कि ऐसा क्‍यों हुआ।
मुझे पता है, दिल टूटा होता तो ढेर सी सलाह व जानकारियां मिलतीं। देखते हैं अब कितनी मिलेंगीं।

5 टिप्‍पणियां:

  1. na jane kitne sheeshe roj aise hi tootte hain aur aawaz bhi hoti hai magar aaj sab bahre ban chuke hain.koi sunna hi nhi chahta aisi koi aawaz jisse unka sarokar na ho.
    bahut kuch bina vajah hi hota hai zindagi mein aur use hamein usi hal mein apnana hota hai.sach to yahi hai baki aapki soch kya hai aap bataiyega.

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  2. १ आप चाहें तो घटिया पड़ौस की वज़ह से इस्तीफा दे सकते हैं
    २ आपने अपने जीवित होने का प्रमाण दिया सो हमने भी दे दिया
    ३ आपकी जन्मकुंडली में लिखा है कि ये तो होना ही था

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  3. शीशा हो या दिल
    टूट जाता है
    यह प्‍यारा सा
    गीत याद आ गया।

    शीशा टूट गया
    दिल बच गया
    दिल हमारा है
    शीशा तुम्‍हारा था।

    टूटने की कहानी
    वैज्ञानिक जी ही
    बतलायेंगे
    हम बतायेंगे पर
    आप मान कैसे
    पायेंगे बंधु।

    शीशे में भी था
    दिल
    जब वो गया
    हिल
    तो शीशा टूट
    गया
    शीशे का दिल
    भी टूट गया।

    आपने देखा होगा
    शीशे को किरचो में
    बिखरते हुए
    प्रत्‍येक किरच में
    एक पूरा अक्ष दे
    रहा होगा दिखाई
    पर आपको याद
    नहीं जी आई
    कि उसे देखते।

    देखी होती तो
    हमें बताते।

    वही दिल था
    दिल दर्पण है
    दर्पण कांच का

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  4. शीशा आपका टूटा है ना , दिल तो नहीं ना । क्यों कि इस बीमारी की दवा हमारे पास नहीं ।एक जांच कमेटी का सुझाव है मेरे पास ।

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टिप्‍पणी की खट खट
सच्‍चाई की है आहट
डर कर मत दूर हट