गुरुवार, 8 अक्तूबर 2009

सोचो सोचो सोचो

सब चीजों को धूप सुखाये लेकिन हमें भिगोती
हम तो हरदम भीगे रहते छाया जो न होती
चलो खुजाओ सभी खोपड़ी है कैसी ये माया
इस बात को वही बताए जिसको पसीना आया

6 टिप्‍पणियां:

टिप्‍पणी की खट खट
सच्‍चाई की है आहट
डर कर मत दूर हट