हिन्दी दिवस की सभी को बधाई
सभी देश व विदेश वासियों से एक निवेदन है कि
जब भी कोई नाम करण करें हिन्दी में ही करें या अपनी क्षेत्रिय भाषा में करें।
कम से कम अंग्रेजी में न करें। उदाहरण देकर बताता हूं।
दिल्ली में एक सड़क बनी उसका नाम रखा गया रिंग रोड, आज तक प्रचलित है।
इस सड़क पर चलने वाली बस को नाम दिया गया मुद्रिका और तीव्रमुद्रिका जिस रूप में नामकरण हुआ उसी रूप में प्रचलित हुआ। किसी भी जन सामान्य को कोई आपत्ति नहीं हुई।
और भी कई उदाहरण दिये जा सकते हैं-
मिंटो ब्रिज रेलवे स्टेशन का नाम बदला गया शिवाजी ब्रिज। ये कमी क्यों छोड़ दी गयी, ब्रिज की जगह सेतु या पुल का प्रयोग क्या बुरा था। इसी तरह हार्डिंग ब्रिज को तिलक सेतु या तिलक पुल के बजाय तिलक ब्रिज नाम दिया गया। कहने को यूं कहा जा सकता है कि दोनों स्टेशनों के नाम का स्वदेशीकरण तो कर दिया गया पर पूरी तरह हिन्दीकरण नहीं किया गया ।
ये सभी उदाहरण सामान्य से लगते हैं पर ये हैं बड़े महत्वपूर्ण। अगर इन छोटी छोटी बातों पर ध्यान दिया जाये तो हिन्दी को अपना बर्चस्व बनाने में देर नहीं लगेगी।
इसी प्रकार क्षेत्रिय भाषाएं भी अपना योगदान नामकरण में अवश्य करें।
आजकल लोग मार्किट जाते हैं हाट या बाजार नहीं जाते। लोग भूल गये हैं दियासलाई को।
एक और रोचक बात दालमखनी ढाबे में है होटल में भी है, दालबटरी नहीं है। अंत में मेरे कहने का मतलब है,
कि मेरे देशवासियों नामकरण करते समय इस बात पर अवश्य गौर किया जाना चाहिए। धन्यवाद और फिर से शुभकामनाएं।