जब तक सीखा आदमी, जीवन का कुछ सार
फिसल गई सब जिंदगी, खुला मौत का द्वार
सोमवार, 26 जनवरी 2009
रविवार, 18 जनवरी 2009
कचनार की कविता
दिल तुम्हारा था हमारी देह में
और अपना था तुम्हारे नेह में
बात उपमा की चली तो क्या बताएं
हर तरफ चर्चा हुई कचनार की
जब दुखों की धूप ने सोखा बदन
और उसको छू गई तपती पवन
आ गयीं लेकर तुम्हारी भावनाएं
लहलहाती डालियां कचनार की
कब न जाने कौन क्या कुछ कह गया
प्रेम का धागा उलझ कर रह गया
गुत्थियां खोलें तुम्हारी कामनाएं
औषधि का रूप ले कचनार की
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और अपना था तुम्हारे नेह में
बात उपमा की चली तो क्या बताएं
हर तरफ चर्चा हुई कचनार की
जब दुखों की धूप ने सोखा बदन
और उसको छू गई तपती पवन
आ गयीं लेकर तुम्हारी भावनाएं
लहलहाती डालियां कचनार की
कब न जाने कौन क्या कुछ कह गया
प्रेम का धागा उलझ कर रह गया
गुत्थियां खोलें तुम्हारी कामनाएं
औषधि का रूप ले कचनार की
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शुक्रवार, 9 जनवरी 2009
ये रचना कई बार चोरी हो चुकी है
जी हां ये रचना कई बार चोरी हो चुकी है। पंजाब केसरी में, राष्ट्रीय सहारा में। साहित्यिक चोरों ने अपने नाम से प्रकाशित कराई है। राष्ट्रीय सहारा का धन्यवाद है उसने इसका खंडन भी प्रकाशित किया था। ये कविता जब पंजाब में उग्रवाद अपने चरम पर था तब लिखी गयी थी।
शीर्षक ... फुर्सत नहीं है
जीवन आउट ऑफ डेट हो गया है
शायद यमराज लेट हो गया है
या फिर उसकी नज़र फिसल गयी
और हमारी मौत की तारीख निकल गयी
हमने यम के पी ऐ को लिखा
उसने जवाब नहीं दिया
फिर यमराज को किया फोन
यम बोला ..... कौन ....
बीमारी में अस्पताल में पड़े हैं
मौत की लाइन में खड़े हैं
प्रभू ..... जल्दी आइये
बीमारी और जीवन से छुटकारा दिलाइये
यमराज बोला ठीक है
सब्र कर जल्दी आऊंगा
तेरे प्राण ले जाऊंगा
जान लेना तो इजी है
पर क्या करूं
मेरे स्टाफ पंजाब में बिजी है
तुम्हें फोन करने की जरूरत नहीं है
अभी तो मुझे भी
मरने की फुर्सत नहीं है।
शीर्षक ... फुर्सत नहीं है
जीवन आउट ऑफ डेट हो गया है
शायद यमराज लेट हो गया है
या फिर उसकी नज़र फिसल गयी
और हमारी मौत की तारीख निकल गयी
हमने यम के पी ऐ को लिखा
उसने जवाब नहीं दिया
फिर यमराज को किया फोन
यम बोला ..... कौन ....
बीमारी में अस्पताल में पड़े हैं
मौत की लाइन में खड़े हैं
प्रभू ..... जल्दी आइये
बीमारी और जीवन से छुटकारा दिलाइये
यमराज बोला ठीक है
सब्र कर जल्दी आऊंगा
तेरे प्राण ले जाऊंगा
जान लेना तो इजी है
पर क्या करूं
मेरे स्टाफ पंजाब में बिजी है
तुम्हें फोन करने की जरूरत नहीं है
अभी तो मुझे भी
मरने की फुर्सत नहीं है।
गुरुवार, 1 जनवरी 2009
2009
एक साल गया
एक साल नया
एक दिन ये भी तो जायेगा
लेकिन ये जाने से पहले
कह लें या न कह लें
कुछ देकर ही तो जायेगा
कुछ लेकर ही तो जायेगा
ये देना लेना होना है
एक प्यार प्रीत का दोना है
ये प्यार प्रीत होता रहे
समय व्यतीत होता रहे
नव वर्ष की मंगल कामनाएं
एक साल नया
एक दिन ये भी तो जायेगा
लेकिन ये जाने से पहले
कह लें या न कह लें
कुछ देकर ही तो जायेगा
कुछ लेकर ही तो जायेगा
ये देना लेना होना है
एक प्यार प्रीत का दोना है
ये प्यार प्रीत होता रहे
समय व्यतीत होता रहे
नव वर्ष की मंगल कामनाएं
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