इस देश की माटी को, इस देश का किसान अपने पसीने से जितना भी सींचे कम है।
इस देश की माटी को, इस देश का जवान अपने लहू से जितना भी सींचे कम है।
इस देश की खाल को, इस देश का नेता जितना खींचे उतना ही गम है।
सभी देशवासियों को गणतंत्र की शुभकामनाएं......
बुधवार, 26 जनवरी 2011
सोमवार, 24 जनवरी 2011
शनिवार, 22 जनवरी 2011
आदर्श नगर में आयोजित मीडियाकर्मियों के लिए आयोजित हिन्दी ब्लॉगिंग कार्यशाला को संबोधित करते हुये जैसा श्री अविनाश वाचस्पति जी ने कहा
साथियों नमस्कार।
आप सब क्राइम रिपोर्टर हैं । मेरा कहना है कि हिन्दी का प्रयोग न करने को देश में क्राइम घोषित कर दिया जाना चाहिए और आज मैं इस मंच से पूरा एक दशक हिन्दी ब्लॉगिंग के नाम करने की घोषणा करता हूं। इस एक दशक में आप देखेंगे कि हिन्दी ब्लॉगिंग सबसे शक्तिशाली विधा बन गई है। जिस प्रकार मोबाइल फोन सभी तकनीक से युक्त हो गया है, उसी प्रकार हिन्दी ब्लॉगिंग सभी प्रकार के संचार का वाहक बन जाएगी।
मीडियाकर्मियों और हिन्दी ब्लागरों का समन्वयन अवश्य ही इस क्षेत्र में सकारात्मक क्रांति का वाहक बनेगा। जिस प्रकार हिन्दी ब्लॉगर और मीडियाकर्मी एकसाथ मिले हैं, उसी प्रकार यह परचम सभी क्षेत्रों में लहराना चाहिये। प्रत्येक क्षेत्र में से हिन्दी ब्लॉगर बनें और अपने अपने क्षेत्र की उपलब्धियों को सामने लायें। हिंदी मन की भाषा है और इस भाषा की जो शक्ति है वो हिन्दी के राष्ट्रभाषा न बनने से भी कम होने वाली नहीं है।
तकनीक का ज्ञान बांटने से बढ़ता है। आप जो भी सीखें, उसे सबको सिखलायें। नुक्कड़डॉटकॉम पर हिन्दीटूल किट का लिंक स्पैनशाट और इंस्टालेशन की पूरी प्रक्रिया के साथ उपलब्ध है।
ब्लाग विधा के संबंध में जिस कक्षा में कंप्यूटर शिक्षण आरंभ किया जाता है, उसी कक्षा से सभी विद्यार्थियों के लिए ब्लॉग शिक्षण केन्द्रीय और राज्य सरकारों द्वारा अनिवार्य तौर पर लागू कर दिया जाना चाहिये। हिन्दी ब्लागिंग को पाठ्यक्रम में शामिल करने की महती आवश्यकता है।
प्रिंट मीडिया और चैनलों में हिन्दी ब्लॉगिंग को अब जितनी प्रमुखता से लिया जा रहा है, वो इसकी शक्ति का प्रतीक है।
जब भी इंटरनेट खोलें तो अपने आवश्यक कार्यों की एक सूची बनाकर साथ रख लें और पहले उन कार्यों को निपटायें, उसके बाद बाकीकार्य करें। जिससे समय की बरबादी न हो और सभी कार्य भी पूरे हों सकें। यह सतर्कता प्रत्येक इंटरनेट प्रयोगकर्ता को बरतनी चाहिये।
इस प्रकार आपस में मेल मिलाप और मिलने मिलाने से जिम्मेदारी की भावना का विकास होता है और यही भावना हिन्दी ब्लॉगिंग को सार्थकता की ओर ले जाने में सक्षम है।
मुझे किसी का सहयोग करने के बाद धन्यवाद की अपेक्षा नहीं रहती है परंतु मैं चाहता हूं कि जो मैंने आपको सिखाया है, उसे आप अन्यों को अवश्य सिखायें। असली धन्यवाद और हिन्दी प्रेम यही है।
हिन्दी ब्लॉगिंग से जुड़ने पर सीधे से सबका पहला सवाल यह होता है कि क्या इसमें कमाई है, उन सबसे मेरा यह कहना है कि इसमें खूब कमाई है, अगर आप हरे लाल नीले नोटों में कमाई नहीं ढूंढ रहे हैं तो इसमें प्यार रूपी बेशुमार दौलत है। और इस दौलत का कोई सानी नहीं है। मुझे तो यह दौलत खूब मिली है और मैं इसी को सबसे बांट रहा हूं। मुझे जब कोई वस्तु बाजार से खरीदनी होती है, उस समय भी मैं एक पोस्ट डालकर सबकी राय और बहुमूल्य परामर्श ले लेता हूं जिससे समय और पैसे दोनों की बचत होती है। जो उसे पढ़ रहे हैं होते हैं, वे भी उससे लाभान्वित होते हैं। यह भी कमाई
हम घर में भाई को कोई काम कहते हैं तो वो कर देता है और हम उसके काम कर देते हैं। उसी प्रकार हिन्दी ब्लॉगर आपस में करते हैं, मुझे किसी जगह का कोई काम होता है तो मैं उस जगह के किसी भी ब्लॉगर को कह देता हूं और मेरा काम बिना जाये हो जाता है और इसी प्रकार मैं भी सबके काम करने के लिए सदा तत्पर रहता हूं। इससे समय और पैसे दोनों की बचत होती है और यह भी कमाई का ही रूप है।
मैं आज पहली बार अनिल अत्री जी से मिला हूं, आप सबसे भी मिल रहा हूं परंतु कहीं से भी यह महसूस नहीं हो रहा है कि हम पहली बार मिल रहे हैं क्योंकि हम लोग आपस में नेट के जरिए रोज ही आपस में मिलते रहते हैं। यह हिन्दी ब्लॉगिंग की एक विशेषता है।
भाई खुशदीप सहगल इस अवसर पर लखनऊ जाने के कारण नहीं आ पाये परंतु उनका कहना है कि लोकतंत्र के इस पांचवे खंबे को मजबूती प्रदान करने की जिम्मेदारी हम सबकी है। हमें सबको लेखक बनने से पहले एक जिम्मेदार संपादक बनना होगा।
सबको अपनी रचनाएं अपनी संतान की तरह प्यारी होती हैं। उनमें सुधार के लिए आवश्यक है कि सिर्फ वाह वाही पर ध्यान न देकर, स्वस्थ आलोचनाओं पर गौर करें और अपने लेखन को विकास की राह पर बढ़ने दें। वाह वाही पर ध्यान देने से आत्ममुग्धता के शिकार होने से विकास बाधित होता है।
सिर्फ टिप्पणियों में न उलझें, एक दूसरे की स्तुति अथवा टांग खींची में न लगे रहें, वाद विवाद में न पड़ें, ईमानदारी को न छोड़ें, अपने लिखे को सर्वोत्तम न मानें, अपनी कमियों को सुनें, जानें, समझें और सुधारने के लिए सदैव रास्ते खुले रखें। अपना आधा घंटा नियम पूर्वक इस विधा के विकास के लिए लगायें जिस प्रकार आप भोजन करते हैं, स्नान करते हैं और रोजाना के आवश्यक कार्यों को करते हैं।
धन्यवाद
लेबल:
अनिल अत्री,
अविनाश वाचस्पति,
नुक्कड़,
पवन चंदन
बुधवार, 12 जनवरी 2011
खटीमा ब्लागर मीट की दूसरी किश्त
होनी है यहां ब्लागर मीट
कोई कमी न रह जाए।
हर तरफ नजर है मयंक जी की
दिशा निर्देशों के साथ हैं व्यस्त
मस्त और अलमस्त
ये सभी ठोक रहे हैं कील
जी हां, कील नहीं मील का पत्थर है ये
दीवार पर पोस्टर नहीं लग रहा....
पूरे विश्व में चमकेगा
बनाएगा अपनी शान और पहचान
हंसते रहो, हंसाते रहो
इस नेक ख्याल के जन्मदाता हैं ये
अपनी कथनी को सार्थक बना रहे हैं
आप भी शामिल हो जाइये इनके साथ
चलिए कल फिर मिलेंगे............
सोमवार, 10 जनवरी 2011
ब्लागर मीट खटीमा
जिसमें ब्लागश्री श्री पद्म सिंह कुछ खोज रहे हैं,
जी हां यही तो है,
इसी कार में सवार
पांच ब्लागर मजेदार
जा पहुंचे रूपचंद जी के द्वार
मयंक जी की महिमा का खटिमा
या कहें - खटीमा की महिमा
हीटर की गरमाई में
एक कविगोष्ठी रजाई में
संपन्न होती रही
दुनिया सोयी नहीं
जगती रही
सुनती रही
गुनती रही।
जी हां यही है
वह यंत्र
जो यत्र तत्र सर्वत्र
प्रसारित करता रहा
प्रचारित करता रहा
गोष्ठी का हर पल प्रतिपल
और अंतर्जाल की दुनिया निहारती रही अपलक
ब्लागरों की हर झलक
हम आभारी हैं श्री बिल्लोरे जी के
दोस्ताना निभाते रहे
और सारा नजारा दुनिया को दिखाते रहे
ये सब हुआ है पहली बार
अब तो होगा बारंबार
इससे अगली खबर
पर रखिये नजर
कल छपेगी यहीं पर
जी हां चौखट पर ...........................
जी हां यही तो है,
इसी कार में सवार
पांच ब्लागर मजेदार
जा पहुंचे रूपचंद जी के द्वार
मयंक जी की महिमा का खटिमा
या कहें - खटीमा की महिमा
हीटर की गरमाई में
एक कविगोष्ठी रजाई में
संपन्न होती रही
दुनिया सोयी नहीं
जगती रही
सुनती रही
गुनती रही।
जी हां यही है
वह यंत्र
जो यत्र तत्र सर्वत्र
प्रसारित करता रहा
प्रचारित करता रहा
गोष्ठी का हर पल प्रतिपल
और अंतर्जाल की दुनिया निहारती रही अपलक
ब्लागरों की हर झलक
हम आभारी हैं श्री बिल्लोरे जी के
दोस्ताना निभाते रहे
और सारा नजारा दुनिया को दिखाते रहे
ये सब हुआ है पहली बार
अब तो होगा बारंबार
इससे अगली खबर
पर रखिये नजर
कल छपेगी यहीं पर
जी हां चौखट पर ...........................
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