बुश को झुकना पड़ गया जूता हुआ महान
पल में अपमानित हुआ जग में देश महान
काम कुछ अच्छे करते
बुधवार, 17 दिसंबर 2008
मंगलवार, 16 दिसंबर 2008
जूता
मैंने पूछा जूते से
तुम क्यों चले
बोला मैं नहीं चला तो
दुनिया कैसे चलेगी
जूता रूका, तो दुनिया रूकेगी
वरना नंगे पांव चलेगी
और ये बात सबको खलेगी
अब जूता चला वो भी खल रहा है।
मैं चलूं तो परेशानी
न चलूं तो परेशानी
दुनिया को चलाने के लिए ही चला हूं।
जब दुनिया मुझे रौंदती है
मेरे अंदर बिजली सी कौंधती है
मेरी आबरू का नाश करती है दुनिया
लगातार करती आ रही है
मेरे ही बल पर आगे बढ़ती जा रही है
और जूते खा रही है
तुम क्यों चले
बोला मैं नहीं चला तो
दुनिया कैसे चलेगी
जूता रूका, तो दुनिया रूकेगी
वरना नंगे पांव चलेगी
और ये बात सबको खलेगी
अब जूता चला वो भी खल रहा है।
मैं चलूं तो परेशानी
न चलूं तो परेशानी
दुनिया को चलाने के लिए ही चला हूं।
जब दुनिया मुझे रौंदती है
मेरे अंदर बिजली सी कौंधती है
मेरी आबरू का नाश करती है दुनिया
लगातार करती आ रही है
मेरे ही बल पर आगे बढ़ती जा रही है
और जूते खा रही है
रविवार, 14 दिसंबर 2008
जन्मदिन की बधाई अविनाश भाई
अविनाश वाचस्पति आपको
50 से 51 की ओर बढ़ना
मुबारक हो
पर घट रहे हैं बरस
दर बरस
हर बरस।
वैसे जन्मदिन तो आज
राजकपूर का भी है
राजीव गांधी का भी
पर हमारे राज और राजीव
आप ही हैं
पर आप न राज हों
न हों राजीव
दोनों दूर हैं
और आप पास।
फिल्मकार श्री श्याम बेनेगल जी
का जन्मदिन भी आज ही है और
वे पास ही हैं जिस तरह
उसी तरह
आप पास ही रहें।
पर सदा जैसे
नहीं रह सकता कोई पास
सुश्री स्मिता पाटिल आज ही
गई थीं दूर बहुत दूर
पर वे भी अपनी कला के जरिये
पास ही हैं, खास भी हैं।
आप पास ही रहें और
आप खास भी रहें
पासमखास रहें।
लिखते रहें व्यंग्य
रचते रहें कविता
यही है इच्छा।
लेबल:
अविनाश वाचस्पति,
इक्यावन,
जन्मदिन,
पचास
शुक्रवार, 12 दिसंबर 2008
आओ हँस लें
एक आदमी बदहवास सा भागता हुआ मंदिर पहुँचा
आदमी....
हे राम, हे भगवान तुम तो अंतर्यामी हो, इस दुनिया में जो भी कुछ होता है सब आपको पता होता है। मेरे साथ क्या हुआ है आप जानते ही हो, जानते हो न.... कि मेरी पत्नी गुम हो गयी है।
भगवान राम की आवाज.....
तो फिर क्या चाहते हो् ?
आदमी.....
चाहता तो कुछ नहीं, बस आप हनुमान जी को मत बताना।
आदमी....
हे राम, हे भगवान तुम तो अंतर्यामी हो, इस दुनिया में जो भी कुछ होता है सब आपको पता होता है। मेरे साथ क्या हुआ है आप जानते ही हो, जानते हो न.... कि मेरी पत्नी गुम हो गयी है।
भगवान राम की आवाज.....
तो फिर क्या चाहते हो् ?
आदमी.....
चाहता तो कुछ नहीं, बस आप हनुमान जी को मत बताना।
गुरुवार, 4 दिसंबर 2008
संदीप उन्नीकृष्णन को नमन
चाहता हूं तुझको तेरे नाम से पुकार लूं
ऐ शहीद आ तेरी मैं आरती उतार लूं
जिस कोख ने पैदा किया उस कोख का ऐहसान है
सैनिकों के रक्त से आबाद हिन्दुस्तान है
धन्य है मइया तुम्हारी भेंट में बलिदान में
झुक गया है देश उसके दूध के सम्मान में
दे दिया है लाल जिसने पुत्रमोह छोड़कर
चाहता हूं प्यार से पांव वो पखार दूं
ऐ शहीद आ तेरी मैं आरती उतार लूं
ऐ शहीद आ तेरी मैं आरती उतार लूं
जिस कोख ने पैदा किया उस कोख का ऐहसान है
सैनिकों के रक्त से आबाद हिन्दुस्तान है
धन्य है मइया तुम्हारी भेंट में बलिदान में
झुक गया है देश उसके दूध के सम्मान में
दे दिया है लाल जिसने पुत्रमोह छोड़कर
चाहता हूं प्यार से पांव वो पखार दूं
ऐ शहीद आ तेरी मैं आरती उतार लूं
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