दीप चंद सावन .. [गीत गुनगुनाते हुए] दिल ढूंढता है फिर वही फुरकत के रात दिन
मैंने कहा आता नहीं तो क्यों गाते हो,
फुरसत को फुरकत क्यों कहते हो
लेकिन वह मान नहीं रहा था
बहस को बढ़ता देख हमने किसी तीसरे से फैसला कराने का मन बनाया
खास बात ये कि हम दोनों को उर्दू का ज्ञान किसी को नहीं था
एक राहगीर से
आप गाने सुनने के शौकीन हैं
उसने हां में सर हिलाते हुए कहा बोलो क्या बात है
क्या आपने वह गाना सुना है--. दिल ढूंढता है फिर वही--.इससे आगे बताओ क्या आता है
बोला-. दिल ढूंढता है फिर वही उलफत के रात दिन
हम दोनों उसका मुंह ताकते रह गये।
सोमवार, 21 जनवरी 2008
शुक्रवार, 18 जनवरी 2008
बर्ड फ्लू
बर्ड फ्लू के कारण आदमी हमें नहीं खायेगा, सोच सोच कर मुर्गियाँ खुश थीं, इनकी खुशी देख कर मुर्गा सोच रहा था और कह रहा था-
मुर्गा बोला मुर्गियो कौन खुशी की बात
जिंदा तो छोड़े नहीं ये आदम की जात
मुर्गा बोला मुर्गियो कौन खुशी की बात
जिंदा तो छोड़े नहीं ये आदम की जात
मंगलवार, 15 जनवरी 2008
शनिवार, 12 जनवरी 2008
भविष्यवाणी
पुराने ज़माने के बच्चे, बच्चे नहीं थे
उनके संस्कार भी अच्छे नहीं थे
या उनकी नैतिक शिक्षा मैं कमी थी
या जहाँ वो जन्मे थे ज़हरीली ज़मीं थी
क्योंकि जो बात नेहरू ने -
पिछली सदी मैं कही थे
बिल्कुल सही थी
वरना कोई भी कैसे कह देता
आज के बच्चे, कल के नेता
उनके संस्कार भी अच्छे नहीं थे
या उनकी नैतिक शिक्षा मैं कमी थी
या जहाँ वो जन्मे थे ज़हरीली ज़मीं थी
क्योंकि जो बात नेहरू ने -
पिछली सदी मैं कही थे
बिल्कुल सही थी
वरना कोई भी कैसे कह देता
आज के बच्चे, कल के नेता
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