तितली तू क्या खाती है, ये रंग कहां से लाती है
कर श्रंगार दुल्हन जैसा, तू रोज कहां पर जाती है
क्यों प्रश्न उठा तेरे मन में, मैं जाती हूं वन-उपवन में
ये असर हुआ है फूलों का जो रंग भरें मेरे जीवन में
तुम भी उपवन तैयार करो फूलों पौधों से प्यार करो
जीवन में रंग सजेंगे खुद तुम जीवों पर उपकार करो
बहुत बढ़िया.
जवाब देंहटाएंwah wah titlee kee slahh pr dilkhus ho gay, bhut sunder srahneye......
जवाब देंहटाएंregards