गुरुवार, 26 फ़रवरी 2009

ये गुरूत्‍वाकर्षण ही ईश्‍वर है

मुझे लगता है
ये जो गुरुत्वाकर्षण है
यही ईश्‍वर है
अन्य सभी परिभाषाएं
अनुत्‍तरित प्रश्‍नों में घिरी हैं
इन परिभाषाओं को नकारा नहीं जा सका है
इसी आशा में कि हो न हो
उत्‍तर कभी न कभी प्राप्त हो ही जाए
आकर्षण क्यों है
प्रतिकर्षण भी क्यों है
यह भी अनुत्‍तरित है
सभी कुछ तो अनुत्‍त्‍ारित है
आदमी अंतरिक्ष में पांव पसार कर
भी नहीं जान पाया है
ये संसार कहां से आया है
वैज्ञानिक ढूंढृ रहे हैं इसका अर्थ
आखिर कहां से आया है पदार्थ
आप जानते हो तो बताना

5 टिप्‍पणियां:

  1. क्या ज़ोरदार कल्पना है भाई. अगर खुले दिमाग़ से सोचे तो बड़े से बड़ा नास्तिक भी इस तर्क के आगे नतमस्तक होगा. सबसे बड़ी बात यह कि गुरुत्वाकर्षण का काम है दुनिया को एक-दूसरे से जोडे रखना. अगर ईश्वर की यह परिभाषा मान ली जाए, तो उन कमज़ोर ताक़तों को तो अपने रोजगार के नए बहाने तलाशने पड़ेंगे जो ईश्वर-अल्लाह के नाम पर ही दुनिया भर लड़ाने मे लगी हैं. बधाई.

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  2. गुरूत्‍वाकर्षण ही नहीं ...प्रकृति के सब रहस्‍य अनुत्‍तरित ही है .... किसी के पास कोई जवाब नहीं ... तभी तो सबकुछ विवादास्‍पद है।

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  3. भाई,
    तलाशते हो ईश्वर को
    खुद से अलग करते हुए
    या खुद के अतिरिक्त
    सब को अलग करते हुए
    ऊर्जा में
    आकर्षण में
    या प्रतिकर्षण में
    नाभावो विद्यते सत्
    सत का अभाव तो
    कहीं विद्यमान ही नहीं
    शून्य से ले कर
    रिक्तता को भरने वाले
    पदार्थ तक
    काल और ऊर्जा तक
    सभी अस्तित्ववानों की
    समष्टि ही ईश्वर है
    हम तुम और सब कुछ
    उसी समष्टि में
    समाहित

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  4. dineshrai dwivedi ji ne bilkul sahi kaha hai...............aapne bahut hi sundar bhav prastut kiye hain.
    mere blog par 'shunya se shunya ki ore' padhiyega,kuch kuch aisa hi hai.

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  5. गुरुत्वाकर्षण ही ईश्वर है जो आपस में जोडे रहता है -bindu jain

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टिप्‍पणी की खट खट
सच्‍चाई की है आहट
डर कर मत दूर हट