"आओ कविता करना सीखें" आज का छंद....
*हरिगीतिका* में --------विरहणी---
जब भी हुआ यह भान मानव, आपको घनघोर से
तब ही बनी यह धारणा कुछ, नाचते मन मोर से
अब आ गया उद्दात सावन, गीत गा मल्हार का
शिव आरती कर धार ले व्रत, प्यार से मनुहार का
खुशियाँ मिली तन मोद में मन, हास है परिहास है
पर जी नहीं लगता उसे उर, प्रीत पावन प्यास है
दुख रोज कोमल भावना पर, है गिला इस बात से
घन भी रहे अनजान भौंचक, आँख की बरसात से
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*हरिगीतिका* में --------विरहणी---
जब भी हुआ यह भान मानव, आपको घनघोर से
तब ही बनी यह धारणा कुछ, नाचते मन मोर से
अब आ गया उद्दात सावन, गीत गा मल्हार का
शिव आरती कर धार ले व्रत, प्यार से मनुहार का
खुशियाँ मिली तन मोद में मन, हास है परिहास है
पर जी नहीं लगता उसे उर, प्रीत पावन प्यास है
दुख रोज कोमल भावना पर, है गिला इस बात से
घन भी रहे अनजान भौंचक, आँख की बरसात से
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बहुत सुन्दर रचना आपको जन्मदिन की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंआपको जन्मदिन की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंThanks for sharing such a wonderful lines
जवाब देंहटाएंOnline Book Publishing and Marketing Company
आपको जन्मदिन की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
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