इनके बाप के पसीने का पैसा होता तब तो ,इनके बच्चों को भूखे मरना पड़ता तबतो ...इनको तो लूटना है और जनता का खून चूसना है इन दलालों की सरकार और उसकी दलाल बन चुकी मिडिया का खेल बेहद शर्मनाक है ,इस देश में व्यवस्था नाम की कोई चीज है ही नहीं ..इस खेल का ही बहिष्कार होना चाहिए ,इसके आरम्भ वाले दिन सभी ब्लोगर इस खेल के बहिष्कार में एक पोस्ट जरूर लिखें..
चालीस करोड़ में गुब्बारा बनाने की लग जाती एक फैक्ट्री जिसमें बनाये जाते चालीस करोड़ गुब्बारे और चालीस हजार लोगों को लगा लिया जाता उस फैक्ट्री में काम पर वो प्रदूषण तो जरूर फैलाती पर दो लाख लोगों का पेट भरने का जुगाड़ भी करती अब कुछ ऐसा करो चलो मिलकर एक गुब्बारा बनाने की फैक्ट्री लगाते हैं।
इनके बाप के पसीने का पैसा होता तब तो ,इनके बच्चों को भूखे मरना पड़ता तबतो ...इनको तो लूटना है और जनता का खून चूसना है इन दलालों की सरकार और उसकी दलाल बन चुकी मिडिया का खेल बेहद शर्मनाक है ,इस देश में व्यवस्था नाम की कोई चीज है ही नहीं ..इस खेल का ही बहिष्कार होना चाहिए ,इसके आरम्भ वाले दिन सभी ब्लोगर इस खेल के बहिष्कार में एक पोस्ट जरूर लिखें..
जवाब देंहटाएंचालीस करोड़ में
जवाब देंहटाएंगुब्बारा बनाने की
लग जाती एक फैक्ट्री
जिसमें बनाये जाते
चालीस करोड़ गुब्बारे
और चालीस हजार
लोगों को लगा लिया जाता
उस फैक्ट्री में काम पर
वो प्रदूषण तो जरूर फैलाती
पर दो लाख लोगों का पेट
भरने का जुगाड़ भी करती
अब कुछ ऐसा करो
चलो मिलकर एक गुब्बारा
बनाने की फैक्ट्री लगाते हैं।
ाविनाश जी की टिप्पणी से सहमत हूँ। आभार।
जवाब देंहटाएंगुब्बारा कहाँ है पवन जी,ये तो उड़न खटोला है
गणेश चतुर्थी एवं ईद की बधाई
हमीरपुर की सुबह-कैसी हो्गी?
ब्लाग4वार्ता पर-पधारें
भैया ४० करोड़
जवाब देंहटाएंक्या ४०० करोड़
का भी हो सकता
है क्योकि ये
कॉमनवेल्थ
( कॉमन + वेल्थ )
यानि आम जनता
का पैसा जो है.......
इस पर अपनी राय दे :-
(काबा - मुस्लिम तीर्थ या एक रहस्य ...)
http://oshotheone.blogspot.com/2010/09/blog-post_11.html
गुब्बारा उड़ गया हवा में...
जवाब देंहटाएंगणेश चतुर्थी और ईद की बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ.