घर के अंदर बाहर की दुनिया
काँटा ही होगा और क्या?
ढूंढ रहा हूँ कान में...अपने बीच मकान में...कलियों की मुस्कान में..तब जाकर मिला: ’क’
@ सुनीता शानूफूलों को तो अपनेचारों तरफ नजर आते हैंकांटे ही कांटेइसमें फूलों का कोईदोष नहीं।
"क" समीर जी ने पहले ही पहचान लिया।
सचमुच 'क' ही है !!
टिप्पणी की खट खटसच्चाई की है आहटडर कर मत दूर हट
काँटा ही होगा और क्या?
जवाब देंहटाएंढूंढ रहा हूँ कान में...
जवाब देंहटाएंअपने बीच मकान में...
कलियों की मुस्कान में..
तब जाकर मिला: ’क’
@ सुनीता शानू
जवाब देंहटाएंफूलों को तो अपने
चारों तरफ नजर आते हैं
कांटे ही कांटे
इसमें फूलों का कोई
दोष नहीं।
"क"
जवाब देंहटाएंसमीर जी ने पहले ही पहचान लिया।
सचमुच 'क' ही है !!
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