रविवार, 8 मार्च 2009

नेक सलाह होली से पहले

यह रचना 'अहा जिंदगी' मार्च 2009 में प्रकाशित हो चुकी है।

भल्‍ले गु‍झिया पापड़ी खूब उड़ाओ माल
खा खाकर हाथी बनो मोटी हो जाए खाल
फिरो मजे में बेफिक्री से होली में
मंहगाई में कौन लगाए चौदह किलो गुलाल

2 टिप्‍पणियां:

  1. इब बैरा पाट गया
    रंगेतिलक का आइडिया
    भास्‍कर ग्रुप ने यहीं से उड़ाया सै
    रंगेतिलक में चौदह ग्राम भी नहीं लागै सै।

    होली की रंगकामनायें कह लें
    चौदह ग्राम भी नहीं लगेगा भास्‍कर वालों।

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टिप्‍पणी की खट खट
सच्‍चाई की है आहट
डर कर मत दूर हट