सोमवार, 29 अक्टूबर 2007

गये गये गये गये

पहाड़ गिर गये
चतुर्वेदी मर गये
कविता छोड़ गये
मुंह मोड़ सो गये

3 टिप्‍पणियां:

  1. शैल चतुर्वेदी जी के निधन का समाचार अभी मिला.

    ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे. हार्दिक श्रृद्धांजली.

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  2. शैल जी की हास्य कविताएं हमेशा आम लोगों को गुदगुदाती रहेंगी। हास्य जगत में शैल जी के निधन के बाद सूनापन साफ पा रहा हूं। ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति प्रदान करे। शत शत नमन

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  3. दूसरी पंक्ति होनी चाहिए थी

    चतुर्वेदी अमर हो गए

    उनकी चल गई कविता की तरह
    शैल जी की नहीं चल पाई पाई

    सिर्फ हंसें न फूटे किसी की रूलाई
    हंसी की एक लहर उन्होंने चलाई।

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टिप्‍पणी की खट खट
सच्‍चाई की है आहट
डर कर मत दूर हट